पुरस्कृत को पुरस्कार
रफ़ी साहब की सितारों से सजी संगीत यात्रा,
जिस दरमियान उन्होंने अनगिनत पुरस्कार और प्रशंसा अर्जित की
कदमो के निशा खुद ही, मंजिल का पता होंगे
संगीत ब्रह्मांड को आत्मा, मन को पंख, कल्पना को उड़ान और हर वस्तु को जीवन प्रदान करता है।
प्लेटो (एक प्राचीन ग्रीक दार्शनिक)
जब मैं कार्य करता हूं तब ईश्वर मेरा सम्मान करते हैं, लेकिन जब मैं गाता हूं तो वह मुझसे प्रेम करते हैं।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (नोबेल पुरस्कार विजेता)
जो व्यक्ति दवा लेता है उसे दो बार ठीक होना पड़ता है। एक बार बीमारी से और दूसरी बार दवा से| जबकि संगीत को दोगुना आशीर्वाद प्राप्त है। एक तो देने वाले के लिए और सुनने वाले के लिए भी और जब उस संगीत में दया होती है, तो यह ईश्वरभक्ति तक बढ़ जाता है और न केवल दो बार, कई बार, कई वर्षों में, बल्कि कई सहस्राब्दियों तक मानव स्मृति में जीवित रहता है और प्रेरणा का एक शाश्वत स्रोत बन जाता है।
(आंशिक रूप से विलियम ओस्लर द्वारा योगदान दिया – कनाडाई चिकित्सक और रफी साहब के गायन की गुणवत्ता पर लागू)
रफ़ी साहब का संगीत निस्संदेह संगीत की इसी श्रेणी में आता है!
पुरस्कार एवं उपलब्धियाँ
आज भले ही रफी साहब हमारे बीच नहीं है परन्तु उनके गाए हुए अनेकों गीत, उनकी सुरीली आवाज सदैव हमें ईस महान कलाकार की याद दिलाती रहेगी| हमें उनके कई गैर-फिल्मी गीतों में से एक पंक्ति गुनगुनाने का मन करता है…
पाँव पडुं तोहे श्याम, ब्रिज में लौट चलो…