विरासत का संरक्षण

एक संयुक्त प्रयास
श्री षणमुखानंद ललित कला और संगीत सभा और
श्री मोहम्मद रफ़ी का परिवार

सामाजिक पहल

परियोजनाएं जो सकारात्मक अंतर लाने का लक्ष्य रखती हैं

वर्ष 2024 महान गायक मोहम्मद रफी की शताब्दी का प्रतीक है।
उनके जीवन और विरासत के सम्मान में हमारी सभा विभिन्न पहलों और प्रस्तावों का आयोजन करने जा रही है। इनमें युवा गायकों के लिए संगीतकार पुरस्कार शामिल है जो नकद राशि और एक संगीत कार्यक्रम करने का अवसर प्रदान करता है| इसके साथ ही रफी साहब के संगीतों का संग्रह और कोटला सुल्तान सिंह में उनके जन्मस्थान और प्राथमिक विद्यालय में एक मीनार तथा सभा के सामुदायिक अस्पताल में गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे रोगियों के उपचार का प्रबंन्ध किया जाएगा| सभा के माध्यम से हम सभी ने भारत सरकार अनुरोध किया है कि ₹100 का एक शताब्दी स्मारक सिक्का एवं ₹5 का एक टिकट डाक विभाग द्वारा जारी किया जाए| इसके अलावा महाराष्ट्र पोस्टल सर्कल से एक विशेष कवर और पोस्टकार्ड जारी करने और उनकी कर्मभूमि मुंबई में एक स्थायी स्मारक के निर्माण का भी अनुरोध किया गया है।

युवा संगीतकार पुरस्कार

आने वाली पीढ़ियों के संगीतकारों के बीच रफी और उनके संगीत को बनाए रखने के लिए, सभा रफी घराने के बाद युवा और होनहार संगीतकारों के लिए श्री षणमुखानंद मोहम्मद रफी शताब्दी स्मारक पुरस्कार की स्थापना कर रही है। इस योजना में होनहार युवा संगीतकारों को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार,एक ट्रॉफी, 24 दिसंबर को सभा में लाइव प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

रफी का संगीत संग्रह और गीतों की मीनार

मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को भारत पाकिस्तान की सीमा पर स्थित अमृतसर के पास एक गाँव कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था।

जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, उसे डिजिटल सुविधाओं की जरूरत है| स्कूल के नवीनीकरण और तीसरी कक्षा को डिजाइन करने के लिए कार्रवाई शुरू की गई है, जहां उन्होंने अंतिम बार संगीत कक्षा के रूप में अध्ययन किया था।

गांव कोटला सुल्तान सिंह में रफी मीनार स्थापित करने के लिए, 100 फीट का स्तूप बनाया जाएगा, और स्तूप के पैरों पर दुनिया की 22 भाषाओं में उनके गाए यादगार गीतों में से एक गीत लिखा जाएगा और इस मीनार के ऊपर आकाश में भव्य रूप से लहराता हुआ तिरंगा होगा। जो सभी को याद दिलाता रहेगा कि यह एक महान देशभक्त का जन्मस्थान है।

हेल्थकेयर अस्पताल

मोहम्मद रफी को क्रोनिक किडनी रोगों से प्रभावित लोगों के लिए जबरदस्त चिंता थी, इस हद तक कि एक बार उन्होंने अपने विदेशी दौरे के दौरान एक अस्पताल को उपहार देने के लिए डायलिसिस मशीन खरीदी, जो उनके बच्चों की विदेश से मांगी गई वस्तुओं की एक लंबी सूची के स्थान पर थी।

इस महान कलाकर की विरासत को स्थायी श्रद्धांजलि के रूप में, प्रत्येक गरीब और गुर्दे के बीमारी से जूझ रहे रोगियों को मुफ्त डायलिसिस प्रदान करने के लिए शन्मुखानंद सामुदायिक चेरिटी अस्पताल मोहम्मद रफी के नाम पर हर कार्य दिवस पर एक मरीज को मुफ्त डायलिसिस प्रदान करने का प्रस्ताव कर रहे हैं।

सभा का डायलिसिस केंद्र देश की दूसरी सबसे बड़ी सुविधा है और वर्तमान में लगभग 25000 डायलिसिस सुविधाएं प्रदान कर रहा है, जिनमें से 90% निःशुल्क है। यह प्रस्ताव सुनिश्चित करेगा कि महान गुरु की स्मृति में गुर्दे की बीमारी से पीड़ित एक गरीब रोगी को हर कार्य दिवस पर मुफ्त डायलिसिस प्राप्त हो।

एक स्मारक एवं सिक्कों का वितरण

हमारी सभा संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार के समक्ष अनुरोध करेगी कि पूरे भारत देश में शताब्दी समारोह के उत्सव का विस्तार किया जाए और वित्त मंत्रालय के माध्यम से रफी साहब पर 100 रुपये के शताब्दी स्मारक सिक्कों को जारी करने की अपील भी करेगी।

स्मारक डाक टिकट

षणमुखानंद सभा केंद्र और राज्य सरकार से अपील करेगी कि वे मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में, जहां रफी साहब रहते थे, एक स्थायी स्मारक स्थापित करने के लिए जमीन का एक टुकड़ा उपलब्ध करें, जो इस गायक के प्रति बहुत बड़ी श्रध्दांजलि होगी। क्योंकि वे इस शहर के अनमोल रत्न हैं और यह शहर उनकी कर्मभूमि है।

हमारी सभा महाराष्ट्र पोस्टल सर्कल के माध्यम से मोहम्मद रफी पर एक विशेष डाक कवर (विशेष अनवरन) और मोहम्मद रफी का एक रंगीन पोस्टकार्ड भी प्रस्तुत करेगी।

मेमोरियल हॉल एवं संग्रहालय

सभा केन्द्र और राज्य सरकार से अपील करेगी कि वह संभवतः मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में एक स्स्थायी स्मारक स्थापित करने के लिए एक भूखंड जारी करे, जो इस शहर से संबंधित और उनकी कर्मभूमि रहे इस महान गायक को दी जाने वाली सबसे बड़ी विशेषता होगी। शन्मुखानंद सभा केंद्र और राज्य सरकार से अपील करेगी कि वे मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में, जहां रफी साहब रहते थे, एक स्थायी स्मारक स्थापित करने के लिए जमीन का एक टुकड़ा उपलब्ध करें, जो इस गायक के प्रति बहुत बड़ी श्रध्दांजलि होगी। क्योंकि वे इस शहर के अनमोल रत्न हैं और यह शहर उनकी कर्मभूमि है।

आज भले ही रफी साहब हमारे बीच नहीं है परन्तु उनके गाए हुए अनेकों गीत, उनकी सुरीली आवाज सदैव हमें ईस महान कलाकार की याद दिलाती रहेगी| हमें उनके कई गैर-फिल्मी गीतों में से एक पंक्ति गुनगुनाने का मन करता है…

पाँव पडुं तोहे श्याम, ब्रिज में लौट चलो…